
जय बजरंगबली
आज 10 अप्रैल 2025 को पूरे भारतवर्ष में श्री हनुमान जन्मोत्सव हर्ष और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। विशेष रूप से काशी नगरी (वाराणसी) में यह पर्व अत्यंत भव्य, अद्वितीय और ऐतिहासिक रूप से मनाया गया।
काशी में जन्मोत्सव की विशेष झलकियां
- 500+ मंदिरों में बाल हनुमान जी का श्रृंगार किया गया।
- भिखारीपुर से संकटमोचन मंदिर तक 5.25 किलोमीटर लंबी ध्वजा यात्रा निकाली गई।
- यात्रा में 21 फीट की विशाल गदा और अयोध्या से मंगाई गई 700 गदाएं प्रमुख आकर्षण रहीं।
- 8 राज्यों से आए 300+ भक्तों ने ध्वजाएं उठाकर भाग लिया। कुल मिलाकर 1 लाख से अधिक ध्वजाएं, और 30 हजार से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए।
पूजन, संकीर्तन और भक्ति का रंग
- संकटमोचन मंदिर में तीन दिवसीय विशेष अनुष्ठान की शुरुआत हुई।
- भोर में गंगाजल से अभिषेक, सिंदूर और चमेली के तेल से चोला अर्पण किया गया।
- तुलसी, गुलाब, चमेली के फूलों से श्रृंगार, फिर मिष्ठान, फल-फूल से भोग अर्पित।संध्या में विशेष आरती, राम नाम संकीर्तन और सुंदरकांड पाठ का आयोजन।
हनुमान जन्मोत्सव पर संदेश:
“जो करता है श्रीराम का नाम,
उसका हर संकट करें हनुमान तमाम।”
श्री हनुमान चालीसा
॥ श्री हनुमान चालीसा ॥
गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित
॥ दोहा ॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस विकार॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥
संकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचंद्र के काज सँवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाए।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाए॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गए अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें काँपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अंतकाल रघुबरपुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
॥ दोहा ॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥
॥ समाप्ति ॥
शुभकामनाएं
इस हनुमान जन्मोत्सव पर बजरंगबली से प्रार्थना है कि वे हम सबके जीवन से संकटों का नाश करें, और शक्ति, भक्ति और निर्भयता प्रदान करें।
श्री राम के सच्चे सेवक को कोटि-कोटि नमन।
हनुमान जी की कृपा आप और आपके परिवार पर सदैव बनी रहे।